Read this article in Hindi to learn about the concept of cross elasticity of demand for a particular commodity.
आड़ी लोच का प्रतिपादन वस्तुतः मूर (Moore) ने अपनी पुस्तक ‘Synthetic Economics’ में किया था किन्तु इस विचार की विस्तृत एवं वैज्ञानिक व्याख्या रॉबर्ट ट्रिफिन (Robert Triffin) ने अपनी पुस्तक ‘Theory of Value’ में की है ।
कुछ वस्तुएँ इस प्रकृति की होती हैं कि एक वस्तु का कीमत परिवर्तन दूसरी वस्तु की माँग को भी परिवर्तित कर देता है जबकि दूसरी वस्तु की कीमत अपरिवर्तित रहती है । दूसरे शब्दों में, जब वस्तुएँ आपस में सम्बन्धित होती हैं तब एक वस्तु की कीमत के परिवर्तन का प्रभाव दूसरी वस्तु की माँग पर पड़ता है ।
”एक वस्तु की कीमत में परिवर्तन से उससे सम्बन्धित वस्तु की माँग पर पड़ने वाले मात्रात्मक प्रभाव को माँग की आड़ी लोच कहा जाता है ।”
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आड़ी लोच को निम्नलिखित सूत्र से व्यक्त किया जा सकता है:
माँग की आड़ी लोच तीन प्रकार की वस्तुओं में उपस्थित हो सकती है:
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(1) स्थानापन्न वस्तुओं में (In Substitutes):
दो पूर्ण स्थानापन्न वस्तुओं में प्रतिस्थापन दर सदैव स्थिर तथा एक समान रहेगी । चाय तथा कॉफी (Tea & Coffee), थम्सअप तथा कैम्पा कोला (Thumsup & Campa Cola) ऐसी ही वस्तुएँ हैं । स्थानापन्न वस्तुओं के बीच माँग की आड़ी लोच अधिक होती है ।
पूर्ण स्थानापन्न वस्तुओं की माँग की आड़ी लोच अनन्त (Infinite) होती है किन्तु कमजोर स्थानापन्नों (Poor Substitutes) में माँग की आड़ी लोच कम होती है ।
चित्र 13 (a) में स्थानापन्न वस्तुओं की माँग की आड़ी लोच शून्य से अधिक प्रदर्शित की गयी है क्योंकि वस्तु Y की कीमत वृद्धि स्थानापन्न वस्तु X की मात्रा में वृद्धि करेगी तथा वस्तु Y की कीमत कमी स्थानापन्न वस्तु X की मात्रा में कमी करेगी । ऐसी दशा में माँग की आड़ी लोच धनात्मक (Greater than Zero) होगी ।
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(2) पूरक तथा संयुक्त माँग वाली वस्तुओं में (In Complements & Joint Demand Goods):
कुछ वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिनकी माँग एक साथ की जाती है । स्कूटर तथा पेट्रोल, पेन तथा इंक, डबलरोटी तथा मक्खन आदि ऐसी ही श्रेणी की वस्तुएँ हैं । ऐसी वस्तुओं में यदि एक वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है, तो उससे सम्बन्धित वस्तु की माँग में कमी हो जायेगी, चाहे दूसरी वस्तु की कीमत अपरिवर्तित ही क्यों न रहे ।
ऐसी दशा में आड़ी लोच ऋणात्मक (Negative) अथवा शून्य से कम हो जायेगी । चित्र 13 (b) में ऋणात्मक आड़ी लोच (ed < 0) प्रदर्शित की गयी है ।
(3) स्वतन्त्र वस्तुओं में (In Independent Goods):
स्वतन्त्र वस्तुओं के सम्बन्ध में माँग की आड़ी लोच शून्य होगी । स्वतन्त्र वस्तुएँ न तो स्थानापन्न वस्तुओं की श्रेणी में आती हैं और न ही पूरक वस्तुओं की श्रेणी में । चित्र 13 (c) में ऐसी वस्तुओं के मध्य माँग की आड़ी लोच स्पष्ट की गयी है ।