Read this article in Hindi to learn about the main principles of Engel’s law and Engel’s curve, with the help of suitable diagrams.
जर्मन अर्थशास्त्री अर्नस्ट एंजिल (Ernst Engel) ने पारिवारिक बजटों का अध्ययन किया और उनके प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर एक नियम प्रस्तुत किया जिसे एंजिल का उपभोग नियम (Engel’s Law of Consumption) कहा जाता है ।
इस नियम के अनुसार किसी व्यक्ति की रुचि एवं वरीयताएँ दिये होने पर जैसे-जैसे उसकी आय बढ़ती है वैसे-वैसे भोजन पर व्यय की जाने वाली आय का अनुपात घटता जाता है ।
दूसरे शब्दों में, इस नियम के अनुसार व्यक्ति की आय जितनी कम होगी भोजन पर आय का उतना ही अधिक भाग व्यय किया जायेगा और इसके विपरीत व्यक्ति की आय जितनी अधिक होगी भोजन पर आय का उतना ही कम भाग व्यय किया जायेगा ।
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एंजिल ने व्यक्तियों के विभिन्न वर्गों के पारिवारिक बजटों के विश्लेषण के बाद भोजन के अतिरिक्त बजट की अन्य मदों के लिए भी आय-व्यय अनुपात सम्बन्धी निष्कर्ष दिये हैं ।
जिन्हें मुख्यतः तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है:
i. आय में वृद्धि होने पर भोजन व्यय का प्रतिशत घटता जाता है और आय में कमी के साथ भोजन पर प्रतिशत व्यय बढ़ता जाता है ।
ii. वस्त्र, मकान, किराया, प्रकाश, ईंधन आदि पर किया जाने वाला प्रतिशत व्यय आय के परिवर्तित होने पर स्थिर रहता है ।
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iii. आय की वृद्धि शिक्षा, मनोरंजन, स्वास्थ्य आदि पर प्रतिशत व्यय को बढ़ाती है जबकि आय की कमी होने पर इन मदों पर प्रतिशत व्यय घटता है ।
उपर्युक्त निष्कर्षों के आधार पर एंजिल के उपभोग नियम को निम्नांकित रूप में व्यक्त किया जा सकता है:
”आय में वृद्धि होने पर भोजन पर प्रतिशत व्यय घटता है । वस्त्र, मकान, प्रकाश एवं ईंधन पर प्रतिशत व्यय स्थिर रहता है तथा शिक्षा, मनोरंजन, स्वास्थ्य आदि पर प्रतिशत व्यय बढ़ता जाता है ।”
एंजिल वक्र (Engel‘s Curve):
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एंजिल के नियम के आधार पर एंजिल वक्र प्राप्त किया जाता है ।
आय के विभिन्न स्तरों तथा वस्तु विशेष की खरीदी गई मात्राओं के बीच सम्बन्ध दर्शाने वाले वक्र को एंजिल वक्र (Engel Curve) का नाम दिया जाता है ।
विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के लिए एंजिल वक्र की आकृति अलग होती है क्योंकि अलग-अलग वर्ग की वस्तुओं की खरीदी जाने वाली मात्राएँ बदलती आय के साथ अलग-अलग रूप में बदलती हैं ।
एंजिल वक्र की दृष्टि से वस्तुओं को चार भागों में बाँटा जा सकता है:
1. आवश्यक वस्तुओं का एंजिल वक्र (Engel Curve for Necessities):
आवश्यक वस्तुओं का एंजिल वक्र बायें से दायें ऊपर उठता है जिसका ढाल आय की वृद्धि के साथ-साथ बढ़ता जाता है । अर्थात् आवश्यक वस्तु की खरीदी जाने वाली मात्रा आय की वृद्धि के साथ बढ़ती है किन्तु घटती दर से । दूसरे शब्दों में, आवश्यक वस्तु का उपभोग आय में वृद्धि की अपेक्षा कम अनुपात में बढ़ता है ।
चित्र 16 में आय स्तर में बराबर वृद्धि होने पर (Y1 Y2 = Y2 Y3) उपभोग मात्रा कम अनुपात में बढ़ती है, अर्थात् Q2 Q3 < Q1 Q2
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2. विलासिता वस्तुओं का एंजिल वक्र (Engel‘s Curve of Luxuries):
विलासिता वस्तुओं के लिए भी एंजिल वक्र बांयें से दायें ऊपर उठता है किन्तु यह वक्र X-अक्ष के साथ नतोदर होता है अर्थात् विलासिता वस्तुओं के लिए एंजिल वक्र का ढाल आय में वृद्धि के साथ घटता जाता है अर्थात् आय की एकसमान वृद्धि (Y1 Y2 = Y2 Y3) विलासिता वस्तु की खरीदी जाने वाली मात्रा को अधिक अनुपात में बढ़ाती है ।
Q2 Q3 > Q1 Q2
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3. हीन वस्तुओं का एंजिल वक्र (Engel Curve of Inferior Goods):
हीन वस्तुओं के लिए एंजिल वक्र बायें से दायें नीचे गिरता है अर्थात् आय की वृद्धि वस्तु की उपभोग मात्रा को घटाती है । चित्र 18 में OY1 , OY2 तथा OY3 आय स्तरों पर उपभोग मात्राएँ क्रमशः OQ1 , OQ2 तथा OQ3 है ।
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4. तटस्थ वस्तु का एंजिल वक्र (Engel Curve for Neutral Goods):
तटस्थ वस्तु का उपभोग आय स्तर में वृद्धि अथवा कमी से अप्रभावित रहता है । ऐसी वस्तु का एंजिल वक्र लम्बवत् होता है ।
नमक, दियासलाई आदि ऐसी ही तटस्थ वस्तुएँ हैं जिनका उपभोग आय स्तर के परिवर्तन से अप्रभावित रहता है ।