Here is an essay on ‘Perfect Competition’ especially written for school and college students in Hindi language.

Essay # 1. प्रारम्भिक (Introduction to Perfect Competition):

पूर्ण प्रतियोगिता बाजार की वह स्थिति होती है जिसमें एकसमान वस्तु (Homogeneous Product) के बहुत अधिक क्रेता एवं विक्रेता होते हैं । क्रेता- विक्रेताओं की बड़ी संख्या होने के कारण एक क्रेता तथा एक विक्रेता बाजार कीमत को प्रभावित नहीं कर पाते ।

पूर्ण प्रतियोगिता की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं:

प्रो. लेफ्टविच के अनुसार, ”पूर्ण प्रतियोगिता वह बाजार स्थिति है जिसमें बहुत-सी फर्में एकसमान वस्तुएँ बेचती हैं और इनमें से किसी भी फर्म की यह स्थिति नहीं होती कि वह बाजार कीमत को प्रभावित कर सके ।”

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श्रीमती जॉन राबिन्सन के अनुसार, ”जब प्रत्येक उत्पादक की वस्तु की माँग पूर्णतः लोचदार होती है तो वह बाजार पूर्ण प्रतियोगी बाजार कहलाता है ।”

पूर्ण प्रतियोगिता (Perfect Competition) तथा शुद्ध प्रतियोगिता (Pure Competition) वस्तुतः पर्यायवाची नहीं हैं । दोनों में अन्तर है । पूर्ण प्रतियोगिता के विस्तृत अध्ययन से पूर्व इन दोनों के अन्तर को समझना आवश्यक है ।

पूर्ण प्रतियोगिता तथा शुद्ध प्रतियोगिता (Perfect Competition & Pure Competition):

एक शुद्ध प्रतियोगी (Purely Competitive) बाजार के लिए निम्नलिखित दशाएँ पूरी होनी चाहिए:

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(1) क्रेता एवं विक्रेता का एक बड़ी संख्या में होना अर्थात् क्रेता एवं विक्रेताओं की बड़ी संख्या के कारण प्रत्येक क्रेता अथवा विक्रेता बाजार में इतना सूक्ष्म स्थान रखता है कि वह अपनी क्रियाओं से कीमत को प्रभावित नहीं कर पाता । दोनों क्रेता तथा विक्रेता कीमत ग्रहणकर्ता (Price Taker) तथा मात्रा नियोजक (Quantity Adjuster) होते हैं ।

(2) एक उद्योग में कार्यरत सभी फर्में एकसमान वस्तु (Homogeneous) का उत्पादन करती हैं ।

(3) दीर्घकाल में उद्योग में अतिरिक्त फर्मों के प्रवेश अथवा फर्मों के उद्योग से अलग होने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता ।

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उपर्युक्त तीनों दशाएँ किसी बाजार को शुद्ध प्रतियोगी (Purely Competitive) बनाती हैं किन्तु अर्थशास्त्री शुद्ध प्रतियोगी बाजार (Purely Competitive Market) तथा पूर्ण प्रतियोगी बाजार (Perfectly Competitive Market) में अन्तर करते हैं । उनके अनुसार पूर्ण प्रतियोगिता में शुद्ध प्रतियोगिता की तीनों शर्तों के साथ-साथ अन्य तीन शर्तों का भी होना आवश्यक है ।

Essay # 2. पूर्ण प्रतियोगी बाजार की विशेषताएँ (Characteristics of Perfect Competition Market):

पूर्ण प्रतियोगी बाजार की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

1. क्रेता एवं विक्रेता का अधिक संख्या में होना (Large Number of Buyers & Sellers):

पूर्ण प्रतियोगी बाजार में क्रेता एवं विक्रेता बहुत अधिक संख्या में होते हैं । क्रेता तथा विक्रेता अधिक संख्या में होने के कारण व्यक्तिगत क्रेता एवं विक्रेता बाजार में अति सूक्ष्म स्थान रखते हैं तथा बाजार कीमत को प्रभावित नहीं कर पाते ।

यही कारण है कि पूर्ण प्रतियोगी बाजार में एक ही बाजार कीमत प्रचलित रहती है जिसे क्रेता एवं विक्रेता दोनों स्वीकार करते हैं । पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म कीमत प्राप्तकर्ता (Price Taker) होती है तथा उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत को दिया हुआ मानकर अपना उत्पादन करती और बेचती है ।

2. समरूप उत्पादन (Homogeneous Product):

पूर्ण प्रतियोगी बाजार में सभी फर्मों द्वारा उत्पादित एवं विक्रय की जाने वाली वस्तुएँ समरूप (Homogeneous Product) होती हैं । दूसरे शब्दों में, एक उद्योग के अन्तर्गत कार्य करने वाली सभी फर्में एकसमान वस्तुएँ उत्पादित करती हैं ।

एकसमान वस्तु का गुण होने के कारण ही पूर्ण प्रतियोगी बाजार में कोई भी विक्रेता उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत से अधिक कीमत वसूल नहीं कर सकता क्योंकि कीमत बढ़ाने पर वह अपने सभी क्रेताओं को खो देगा ।

3 स्वतन्त्र प्रवेश एवं बहिर्गमन (Free Entry & Exit):

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पृर्ण प्रतियोगिता में उद्योग के अन्तर्गत फर्मों का आवागमन (Entry) एवं बहिर्गमन (Exit) स्वतन्त्र होता है । दूसरे शब्दों में, कोई भी फर्म जब चाहे उद्योग से अलग हो सकती है तथा जब भी कोई फर्म उद्योग में आना चाहे आ सकती है ।

उद्योग में फर्मों के प्रवेश एवं निकास पर कोई प्रतिबन्ध न होने के कारण पूर्ण प्रतियोगी फर्में दीर्घकाल में केवल सामान्य लाभ (Normal Profit) ही अर्जित करती हैं ।

4. बाजार दशाओं का पूर्ण ज्ञान (Perfect Knowledge of Market):

पूर्ण प्रतियोगिता में क्रेताओं एवं विक्रेताओं को बाजार दशाओं का पूर्ण ज्ञान होता है । इस विशेषता के कारण कोई विक्रेता वस्तु की आधिक कीमत वसूल नहीं कर पाता और आर्थिक इकाइयों के शोषण की सभी सम्भावनाएँ समाप्त हो जाती हैं ।

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5. साधनों की पूर्ण गतिशीलता (Perfect Mobility of Market):

पूर्ण प्रतियोगिता में उत्पत्ति के साधन पूर्ण गतिशील (Perfect Mobile) होते हैं अर्थात् उत्पत्ति के साधन एक उद्योग से दूसरे उद्योग में जाने को पूर्ण स्वतन्त्र होते हैं ।

6. कोई परिवहन लागत नहीं (No Transportation Cost):

पूर्ण प्रतियोगी बाजार में कोई परिवहन लागत (Transportation Cost) नहीं होती । पूर्ण प्रतियोगी बाजार की यह एक मान्यता (Assumption) है कि उद्योग की विभिन्न फर्में एक-दूसरे के समीप में स्थित होती हैं जिसके कारण कोई परिवहन लागत उत्पन्न नहीं होती और पूर्ण प्रतियोगी बाजार में कीमत स्थिर एवं एकरूप रहती है ।

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स्टोनियर एवं हेग (Stonier & Hague) के शब्दों में, ”पूर्ण प्रतियोगिता की व्याख्या करते समय यह मान लेना सुविधापूर्ण होगा कि सभी उत्पादक एक-दूसरे के बहुत समीप कार्य करते हैं जिसके कारण कोई परिवहन लागतें उत्पन्न नहीं होतीं ।”

Essay # 3. वास्तविक जीवन में पूर्ण प्रतियोगिता का स्थान (Place of Perfect Competition in Real Life):

पूर्ण प्रतियोगिता का वास्तविक जगत् में कोई स्थान नहीं है । यह बाजार संरचना व्यावहारिकता से बहुत दूर है ।

पूर्ण प्रतियोगिता की शर्तें इसे अव्यावहारिक और अवास्तविक बनाती हैं:

(1) पूर्ण प्रतियोगिता की शर्तों के अनुसार वस्तुएँ एकसमान (Homogeneous Product) होती हैं । वस्तुतः फर्में वास्तविक जगत् में एकसमान वस्तुएँ नहीं बल्कि निकट स्थानापन्न वस्तुएँ (Closely Substitute Goods) बनाती हैं ।

इस प्रकार वास्तविक जीवन में वस्तु विभेद (Product Discrimination) की दशा उत्पन्न होती है ।

(2) क्रेता एवं विक्रेताओं को सदैव बाजार का पूर्ण ज्ञान होगा यह आवश्यक नहीं । यह मान्यता भी अव्यावहारिक है ।

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(3) ‘उत्पत्ति के साधनों का पूर्ण गतिशील होना’ यह मान्यता भी पूर्ण प्रतियोगिता को काल्पनिक बनाती है ।

(4) वास्तविक जगत् में एक वस्तु के अनेक उत्पादक नहीं होते वरन् थोड़े उत्पादक होते हैं । प्रत्येक उत्पादक वास्तविकता में कीमत प्रभावित कर सकता है ।

उपर्युक्त बिन्दुओं के आधार पर पूर्ण प्रतियोगिता को काल्पनिक कहा जा सकता है । दैनिक एवं आधुनिक जगत् में यह दुर्लभ (Rare) बाजार दशा है ।

इसे काल्पनिक की संज्ञा देने पर भी हम निम्नलिखित तीन कारणों से इसका अध्ययन करते हैं:

1. पूर्ण प्रतियोगिता हमें अध्ययन की आरम्भिक कड़ी देती है । बाजार के अन्य रूप जैसे – अपूर्ण प्रतियोगिता अथवा एकाधिकृत प्रतियोगिता को समझने के लिए पूर्ण प्रतियोगिता का ज्ञान होना आवश्यक है ।

2. पूर्ण प्रतियोगिता का सिद्धान्त हमें ऐसा मापदण्ड (Norm) देता है जिसकी सहायता से हम अर्थव्यवस्था की प्रगति का मूल्यांकन कर सकते हैं । पूर्ण प्रतियोगिता सबसे सफल एवं निपुण स्थिति के रूप में एक मापदण्ड का कार्य करती है ।

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3. अभी भी संसार में अनेक पूँजीवादी देश अपने उत्पादन क्षेत्रों में पूर्ण प्रतियोगिता को अपनाये हुए हैं ।