Read this article in Hindi to learn about the positive and negative implications of globalization.

वैश्वीकरण का सकारात्मक प्रभाव (Positive Implication of Globalization):

वैश्वीकरण, बीसवीं शताब्दी की ऐतिहासिक तथा इक्कीसवीं शताब्दी की प्रमुख आर्थिक घटना के रूप में उभरकर सामने आया है । भारत में, तत्कालीन वित्तमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह (पूर्व प्रधानमन्त्री, भारत सरकार) के सद्प्रयत्नों से सन् 1991 के पश्चात् से ही, वैश्वीकरण की नीति को अपनाने से भारतीय अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई है और उसे विभिन्न प्रकार के अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक-सामाजिक लाभ प्राप्त हुए हैं ।

जिन्हें निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है:

1. आधारभूत-संरचना का विकास (Development of Infrastructure):

ADVERTISEMENTS:

वैश्वीकरण से विभिन्न राष्ट्रों के आधारभूत ढाँचे में परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं; जैसे – औद्योगिक शक्ति के वैकल्पिक स्रोतों का पता लगा है, विद्युत ऊर्जा, सड़कों, नये रेलमार्गों, नव-बन्दरगाहों, वायु परिवहन तथा दूर संचार का क्षेत्र अत्यधिक विस्तृत हो गया है ।

2. बाजारों का विस्तार (Extension of Markets):

वैश्वीकरण में व्यावसायिक संस्थाओं का आकार बहुत विशाल होता है तथा व्यावसायिक क्षेत्र भी अत्यधिक विस्तृत होता है, जिसके कारण इन संस्थाओं को सम्पूर्ण विश्व में व्यवसाय की छूट मिल जाती है तथा बाजारों का विस्तार होता जाता है ।

3. पर्यावरण के प्रति सजगता (Consciousness for Environment):

ADVERTISEMENTS:

वैश्वीकरण व्यवसाय के वातावरणीय घटकों की विविधता को बढ़ाता है । इससे सैन्य सन्तुलन, संसाधनों के हस्तान्तरण की सुविधाओं, व्यापारिक सम्बन्धों, दूसरे राष्ट्र की जनसंख्या, जलवायु, बीमारियों, औषधियों, अस्त्र-शस्त्र व्यापार तथा स्वास्थ्य एवं सुरक्षा लागतोंपर पूर्ण रूप से ध्यान आकृष्ट हो जाता है, जो अन्ततः सभी दृष्टि से सभी राष्ट्रों के लिए लाभप्रद होता है ।

4. श्रम, पूँजी एवं सूचना प्रौद्योगिकी का स्वतन्त्र प्रवाह (Free Flow of Labour, Capital and Information Technology):

वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप सभी सम्बद्ध राष्ट्रों में उन्नत गुणवत्ता युक्त सूचना एवं तकनीकी, योग्य एवं अनुभवी, कार्मिक तथा कार्यशील पूँजी का स्वतन्त्र प्रवाह होता है, जिससे अर्थव्यवस्था को संबल मिलता है ।

5. स्वतन्त्र प्रतिस्पर्धा का विकास (Development of Healthy Competition):

ADVERTISEMENTS:

इस प्रक्रिया के अन्तर्गत, आयात-निर्यात नीति को पूर्ण प्रोत्साहन बिना कोई बाधा उत्पन्न किये हुए प्रदान किया जाता है, जिससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को जन्म मिलता है ।

6. उत्पादन क्षमता का स्वतन्त्र निर्धारण (Free Determination of Production Capacity):

वैश्वीकरण का यह प्रभाव होता है कि उत्पादन क्षमता का निर्धारण, स्वतः ही बाजार शक्तियों के द्वारा होता रहता है तथा समय की बचत भी होती है ।

7. उपयुक्त उत्पादन एवं व्यापार ढाँचे का चयन (Selection of Appropriate Production and Trading Pattern):

इसमें प्रत्येक राष्ट्र अपनी आर्थिक-सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप तथा उपलब्ध संसाधनों को ध्यान में रखते हुए किसी वस्तु के उपयुक्त उत्पादन एवं व्यापारिक-संरचना का चयन करने के लिए स्वतन्त्र होता है ।

8. व्यवसाय का स्थानान्तरण सम्भव (Possibility to the Transfer of Business):

वैश्वीकरण के कारण, आपातकालीन परिस्थितियों के अन्तर्गत एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के व्यवसायों को अपने यहाँ स्थानान्तरित कराने में सहायता करता है ताकि समाप्ति के पश्चात् वे व्यवसाय पुनः मूल राष्ट्र में हस्तान्तरित हो सकें ।

9. निर्माण संयन्त्रों की बहुलता (Multiplicity of Manufacturing Plants):

ADVERTISEMENTS:

वैश्वीकरण की नीति को अपनाने से एक ही राष्ट्र के विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में अनेक निर्माण संयन्त्र स्थापित हो जाते हैं, जिससे रोजगार को बढ़ावा मिलता है तथा उनके उत्पादन का लाभ सम्पूर्ण या एक विस्तृत क्षेत्र के उपभोक्ताओं को प्राप्त होता है ।

10. स्वदेशी बहुराष्ट्रीय निगमों का विकास (Development of Domestic Multinationals):

वैश्वीकरण के पश्चात् भारत में स्वदेशी, बहुराष्ट्रीय निगमों की स्थापना का दौर चल रहा है । आई.सी.आई.सी.आई., रिलायन्स, एच.डी.एफ.सी., आई.डी.बी.आई., कोटक महिन्द्रा आदि निगम अब विदेशों तक अपने क्षेत्र का विस्तार करने में लगे हैं, इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी संबल मिला है ।

11. अन्य प्रभाव (Other Effect):

ADVERTISEMENTS:

इसके अन्य प्रभाव निम्नांकित हैं:

(i) भुगतान सन्तुलन सकारात्मक होने लगा है ।

(ii) सामाजिक क्षेत्रों जैसे – चिकित्सा, शिक्षा, परिवार नियोजन आदि पर भारी विनियोजन सम्भव हो पाया है ।

ADVERTISEMENTS:

(iii) रोजगार के अवसरों में वृद्धि होने से बचत एवं विनियोग में भी भारी वृद्धि हुई है ।

(iv) राष्ट्रीय जीवन स्तर में उत्तरोत्तर सुधार होता जा रहा है ।

(v) सरकार, समाज, संगठन तथा कार्मिकों के मध्य परस्पर मधुर सम्बन्ध बने हैं ।

(vi) बहुराष्ट्रीय निगमों के आगमन के कारण देश की बहुमुखी प्रतिभाओं का पलायन रुका है ।

वैश्वीकरण नीति के नकारात्मक प्रभाव (Negative Implications of Globalization):

वैश्वीकरण या भूमण्डलीकरण के दुष्प्रभावों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:

I. व्यवसाय पर दुष्प्रभाव (Bad Effects on Business):

ADVERTISEMENTS:

वैश्वीकरण के व्यवसाय पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव निन्नलिखित हैं:

(1) वैश्वीकरण से गलाकाट प्रतिस्पर्धा का जन्म होता है और इससे अर्थव्यवस्था को धक्का लग सकता है ।

(2) लघु एवं कुटीर उद्योगों के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न होने की सम्भावना प्रबल हो जाती है । इससे क्षेत्रीय विषमता को बढ़ावा मिलता है ।

(3) स्वार्थी प्रवृत्ति के कारण निर्यातों को प्रोत्साहन नहीं मिलता है । इससे आयातित वस्तुएँ बहुत महँगी हो जाती हैं ।

(4) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में निरन्तर बढ़ोतरी हानिकारक बन जाती है क्योंकि स्थानीय व्यावसायिक तथा औद्योगिक संगठनों पर बाह्य संस्थाओं का नियन्त्रण होने लगता है ।

(5) संस्थाओं के अधिग्रहण करने या संविलयन करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है । इससे छोटी संस्थाओं के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो जाता है ।

ADVERTISEMENTS:

(6) बड़े या बहुराष्ट्रीय संगठन आर्थिक क्षेत्र पर एकाधिकार करने की स्थिति में आ जाते हैं । इससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में भुगतान सन्तुलन नकारात्मक स्थिति में आने की सम्भावना बढ़ जाती है ।

II. सामाजिक और आर्थिक दुष्प्रभाव (Consequences Relating to Socio and Economic):

वैश्वीकरण के सामाजिक-आर्थिक दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं:

(1) दैनिक जीवन की वस्तुओं के लिए सम्पूर्ण विश्व खुली अर्थव्यवस्था के अनुरूप होने पर देश में ऐसी वस्तुए महँगी होने लगेंगी ।

(2) उद्योगों में यन्त्रीकरण बढ़ने से बेरोजगारी की सम्भावना बढ़ जाती है, जो राष्ट्र के हित के लिए ठीक नहीं है ।

(3) बहुराष्ट्रीय निगमों को महत्व प्रदान करने से विकासशील राष्ट्रों की योजनाओं की प्राथमिकता प्रभावित होगी और इससे देश का सन्तुलित आर्थिक विकास भी प्रभावित हो सकता है ।

ADVERTISEMENTS:

(4) विदेशी कम्पनियों के द्वारा भारतीय उद्योगों के साथ भेदभाव प्रारम्भ हो गया है । उन्हें मिलने वाली छूटों से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के कारण वंचित किया जा रहा है ।

(5) बिना सरकारी संरक्षण के अनेक घरेलू व्यवसाय या व्यावसायिक संस्थाएँ बर्बाद या बन्द होने की कगार पर आ सकती हैं ।

(6) वैश्वीकरण की नीति लागू होने के उपरान्त समस्त राष्ट्र व्यावसायिक बाजारों की श्रेणी में आ जायेंगे, जिससे उनकी सार्वभौमिकता पर आँच आ सकती है ।